केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में, कला और शिल्प पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग हैं, जो रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं और छात्रों के समग्र विकास को बढ़ाते हैं। केवी स्कूलों में कला और शिल्प गतिविधियों के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:
- कौशल विकास: छात्र ड्राइंग, पेंटिंग, मूर्तिकला और शिल्पकला में विभिन्न तकनीकों को सीखते हैं, जिससे उन्हें बढ़िया मोटर कौशल और रचनात्मकता विकसित करने में मदद मिलती है।
- सांस्कृतिक जागरूकता: कला और शिल्प परियोजनाओं में अक्सर पारंपरिक भारतीय कला रूपों को शामिल किया जाता है, जो सांस्कृतिक विरासत और विविधता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देते हैं।
- अभिव्यंजक शिक्षा: ये गतिविधियाँ आत्म-अभिव्यक्ति और भावनात्मक विकास को प्रोत्साहित करती हैं, जिससे छात्र अपनी रचनाओं के माध्यम से अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं।
- अंतर्विषयक शिक्षा: कला और शिल्प को विज्ञान, इतिहास और साहित्य जैसे विषयों के साथ एकीकृत किया जा सकता है, जिससे व्यावहारिक परियोजनाओं के माध्यम से समझ बढ़ती है।
- प्रतियोगिताएँ और प्रदर्शनियाँ: केवी अक्सर कला प्रतियोगिताओं और प्रदर्शनियों का आयोजन करते हैं, जिससे छात्रों को अपना काम दिखाने और आत्मविश्वास हासिल करने के अवसर मिलते हैं।
- टीमवर्क और सहयोग: समूह परियोजनाएँ छात्रों के बीच टीमवर्क, सहयोग और सामाजिक कौशल को बढ़ावा देती हैं।